सूचना प्रोद्योगिकी (आईटी)
 भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पन्द्रह सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। १९९१ से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रुप में उभरकर आया है। सुधारों से पूर्व मुख्य रुप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियंत्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परंतु आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है। हलाकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुये हैं।
लगभग ५६८ अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ इस समय भारत विश्व अर्थव्यवस्था में १२ वें स्थान पर है। लेकिन प्रति व्यक्ति आय कम होने की वजह से इस प्रगति के कोई मायने नही रहते । सन २००३ में प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से विश्व बैंक के अनुसार भारत का १४३ वाँ स्थान था। पिछ्ले वर्शोँ मे भारत मे वित्तीय संस्थानो ने विकास मे बडी भूमिका निभायी है।
भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है, और केवल २.४% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के १७% भाग को शरण प्रदान करता है ।
वर्ष २००३-२००४ में भारत विश्व में १२वीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है । इसका सकल घरेलू उत्पाद भारतीय रूपयों में २५,२३८ अरब रुपये है, जो संराअमेरीकी डालरों में ५५० अरब के बराबर है । पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर ८.२% थी । पिछले दशक में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि पिछले दशक के दौरान औसतन ६ प्रतिशत प्रतिवर्ष से रही है।
कारक लागत पर घरेलू सकल उत्पाद का संघटन इस प्रकार रहा हैः
  • विनिर्माण, खनन, निर्माण, विद्युत, गैस और आपूर्ति क्षेत्र - २६.६%
  • कृषि वानिकी और लांजंग और मछली पकडने के क्षेत्र - २२.२%
  • सेवा क्षेत्र - ५१.२%
क्रय शक्ति समानता की दृष्टि से, भारत विश्व में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि वर्ष २०३० तक इसका तीसरा स्थान हो जाएगा (चीनी जनवादी गणराज्य और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद)।
भारत बहुत से उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादको में से है। इनमें प्राथमिक और विनिर्मित दोनों ही आते हैं । भारत दूध का सबसे बडा उत्पादक है ओर गेह, चावल,चाय चीनी,और मसालों के उत्पादन में अग्रणियों मे से एक है यह लौह अयस्क, वाक्साईट, कोयला और टाईटेनियम के समृद्ध भंडार हैं ।
यहाँ प्रतिभाशाली जनशक्ति का सबसे बडा पूल है । लगभग २ करोड भारतीय विदेशों में काम कर रहे है। और वे विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं । भारत विश्व में साफ्टवेयर इंजीनियरों के सबसे बडे आपूर्ति कर्त्ताओं में से एक है और सिलिकॉन वैली में सयुंक्त राज्य अमेरिका में लगभग ३० % उद्यमी पूंजीपति भारतीय मूल के है ।
भारत में सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या अमेरिका के पश्चात दूसरे नम्बर पर है । लघु पैमाने का उद्योग क्षेत्र , जोकि प्रसार श्शील भारतीय उद्योग की रीड की हड्डी है, के अन्तर्गत लगभग ९५% औद्योगिक इकाईयां आती है । विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन का ४०% और निर्यात का ३६% ३२ लाख पंजीकृत लघु उद्योग इकाईयों में लगभग एक करोड ८० लाख लोगों को सीधे रोजगार प्रदान करता है।
वर्ष २००३-२००४ में भारत का कुल व्यापार १४०.८६ अरब अमरीकी डालर था जो कि सकल घरेलु उत्पाद का २५.६% है । भारत का निर्यात ६३.६२% अरब अमरीकी डालर था और आयात ७७.२४ अरब डालर । निर्यात के मुख्य घटक थे विनिर्मित सामान (७५.०३%) कृषि उत्पाद (११.६७%) तथा लौह अयस्क एवं खनिज (३.६९%) ।
वर्ष २००३-२००४ में साफ्टवेयर निर्यात, प्रवासी द्वारा भेजी राशि तथा पर्यटन के फलस्वरूप बाह्य अर्जन २२.१ अरब अमेरिकी डॉलर का हो गया ।
अगस्त २००४ तक भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार १२२ अरब अमेरिकी डॉलर का हो गया।

प्रस्तुतकर्ता Vinod Bhana मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

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